भारत-बांग्लादेश मुद्दा: ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों पर गहन नजर Bharat-Bangladesh Issue: A Deep Dive into the Historical, Political & Economic Relations

भारत और बांग्लादेश के बीच के रिश्ते ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में भारत ने जिस तरह से बांग्लादेश की सहायता की, वह दोनों देशों के बीच की मित्रता का मूल आधार बना। आज यह रिश्ता राजनीतिक, व्यापारिक, जल-प्रबंधन, सुरक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी पर आधारित है।

भारत-बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंध

बांग्लादेश का उदय 1971 में हुआ, जब पूर्वी पाकिस्तान ने पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई। इस संघर्ष में भारत ने अहम भूमिका निभाई। भारत ने न केवल लाखों शरणार्थियों को आश्रय दिया, बल्कि सैन्य समर्थन के माध्यम से बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने में मदद की।

राजनीतिक सहयोग

भारत और बांग्लादेश के बीच कई द्विपक्षीय समझौते हुए हैं। प्रधानमंत्री स्तर पर लगातार बैठकों और संवाद से दोनों देशों ने सीमा विवाद, नदी जल-वितरण, सीमा पार आतंकवाद और अवैध घुसपैठ जैसे मुद्दों पर संवाद बनाए रखा है। भारत ने बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के विकास में भी सहायता की है।

व्यापारिक संबंध

भारत-बांग्लादेश व्यापार निरंतर बढ़ रहा है। 2024-25 में भारत बांग्लादेश को लगभग 13 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि बांग्लादेश से आयात लगभग 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। भारत ने बांग्लादेश को ड्यूटी फ्री और कोटा फ्री एक्सेस भी प्रदान किया है। दोनों देशों के बीच रेलवे, सड़क और बंदरगाह के माध्यम से व्यापारिक संपर्क को सुदृढ़ किया गया है।

सीमा और जल विवाद

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो विश्व की सबसे लंबी भूमि सीमाओं में से एक है। वर्षों तक सीमा विवाद चलता रहा, जिसे 2015 में “लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट” के जरिए सुलझाया गया।
जल विवाद विशेषकर तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर अब भी जटिल बना हुआ है। पश्चिम बंगाल सरकार और भारत सरकार के बीच समन्वय की कमी के कारण यह समझौता रुका हुआ है।

सांस्कृतिक संबंध

दोनों देशों की भाषाएँ, खानपान, संगीत और परंपराएँ काफी मिलती-जुलती हैं। टैगोर, काजी नजरुल इस्लाम जैसे कवियों का साहित्य दोनों देशों में समान रूप से पढ़ा जाता है। हिंदी फिल्मों, बंगाली साहित्य और लोककला के आदान-प्रदान से सांस्कृतिक रिश्ते और मजबूत हुए हैं।

चुनौतियाँ और विवाद

  • अवैध घुसपैठ: भारत में घुसपैठ का मुद्दा एक संवेदनशील राजनीतिक विषय बना हुआ है।
  • रोहिंग्या शरणार्थी: बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की बड़ी संख्या है, जो सुरक्षा और मानवीय संकट का कारण बन रही है।
  • पानी का बंटवारा: तीस्ता नदी पर जल बंटवारा दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बनता है।

भविष्य की दिशा

  • साझा व्यापारिक गलियारा (Trade Corridor): दोनों देश क्षेत्रीय संपर्क को बेहतर बनाकर दक्षिण एशिया के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • डिजिटल कनेक्टिविटी: IT और डिजिटल सेवाओं में सहयोग दोनों देशों के बीच नए अवसर खोल सकता है।
  • ग्रीन एनर्जी और जलवायु परिवर्तन: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पर्यावरणीय प्रबंधन में संयुक्त परियोजनाएँ भविष्य के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।

निष्कर्ष

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध केवल राजनीतिक या आर्थिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और मानवतावादी रिश्ता है। यदि दोनों देश आपसी समझ, सहयोग और स्थिरता बनाए रखते हैं, तो यह क्षेत्रीय विकास और वैश्विक स्थायित्व की दिशा में एक मजबूत उदाहरण बन सकता है।

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