भारत और भूटान के बीच संबंध विश्व राजनीति में द्विपक्षीय संबंधों का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। ये संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत गहरे और मैत्रीपूर्ण हैं। भूटान भारत का निकटतम पड़ोसी है और दोनों देशों के बीच विश्वास, सम्मान और सहयोग का बंधन वर्षों से बना हुआ है।

इतिहास और सांस्कृतिक जुड़ाव
भारत और भूटान का संबंध सदियों पुराना है। धार्मिक दृष्टि से बुद्ध धर्म ने दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत किया है। गुरु पद्मसंभव, जिन्हें भूटान में ‘गुरु रिनपोछे’ के नाम से जाना जाता है, भारत के बिहार राज्य से भूटान गए थे और उन्होंने वहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
1949 में भारत और भूटान के बीच शांति और मैत्री संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिससे दोनों देशों के आधिकारिक संबंधों की नींव रखी गई। इस संधि के तहत भारत ने भूटान को विदेशी मामलों में सहयोग देने का वादा किया, वहीं भूटान ने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी।
आर्थिक सहयोग और व्यापार
भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार की व्यवस्था है और भारत भूटान से बिजली, कृषि उत्पाद, और हस्तशिल्प आयात करता है। भारत भूटान को पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्यान्न, मशीनरी और निर्माण सामग्री निर्यात करता है।
भारत ने भूटान में कई जलविद्युत परियोजनाओं में निवेश किया है जैसे कि ताला, चुखा और पुनात्सांगचू परियोजनाएं। भूटान भारत को बड़ी मात्रा में जलविद्युत निर्यात करता है, जिससे भूटान को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है और आर्थिक विकास को गति मिलती है।
रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग
भूटान की सामरिक स्थिति भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत और भूटान की सीमा लगभग 699 किलोमीटर लंबी है और यह चीन की सीमा के करीब है। डोकलाम विवाद के समय (2017) भारत ने भूटान की संप्रभुता की रक्षा करते हुए वहां अपनी सैन्य उपस्थिति दर्ज की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत भूटान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।
भारत भूटान की सैन्य क्षमता को सुदृढ़ करने में भी सहायता करता है। भारतीय सेना भूटान के सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण देती है और उन्हें रणनीतिक मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।
शिक्षा और मानव संसाधन विकास
भारत भूटानी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करता है। भूटान के हजारों छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा, भारत भूटान में कई स्कूलों, अस्पतालों और प्रशिक्षण संस्थानों के निर्माण में सहयोग करता है।

पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
भारत और भूटान के नागरिकों को एक-दूसरे के देश में बिना वीजा यात्रा की सुविधा प्राप्त है। यह सुविधा दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे की संस्कृति को करीब से जानने और समझने का अवसर देती है। भूटान के त्सेचु जैसे पारंपरिक उत्सवों में भारतीय पर्यटक बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
नई चुनौतियाँ और अवसर
आज के समय में भारत-भूटान संबंधों को डिजिटल कनेक्टिविटी, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी जैसे नए क्षेत्रों में भी विस्तार मिल रहा है। भारत ने भूटान को कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन, दवाएं और चिकित्सा सहायता प्रदान की, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ हुए।
2020 में भूटान ने भारत द्वारा विकसित रूपे (RuPay) कार्ड को अपनाया और हाल ही में भारत-भूटान डिजिटल भुगतान प्रणाली को और सशक्त बनाया गया है। इससे दोनों देशों के नागरिकों को भुगतान और वित्तीय लेन-देन में सुविधा मिली है।
निष्कर्ष
भारत और भूटान के बीच संबंध सिर्फ दो देशों के बीच के नहीं, बल्कि दो सभ्यताओं, विश्वासों और भावनाओं के बीच हैं। यह संबंध राजनीति और कूटनीति से ऊपर उठकर आत्मीयता और सहयोग का प्रतीक बन चुका है। आने वाले समय में भारत और भूटान मिलकर एशिया में स्थायित्व, विकास और समृद्धि की नई मिसाल कायम कर सकते हैं।